ऋषिकेश-श्रीनगर-रुद्रप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर यदि रैंतोली के पास राजमार्ग पर क्रैश बैरियर लगा होता तो संभवतया दुर्घटना के दौरान वाहन में सवार 15 यात्रियों की जान बच सकती थी। दुर्घटनास्थल मार्ग का वह छोटा सा हिस्सा था, जहां क्रैश बैरियर के स्थान पर सीमेंट की पैराफिट लगी थी, जो तेज रफ्तार वाहन को नहीं रोक पाई।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा जांच के लिए भेजी गई लीड एजेंसी की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है। यह रिपोर्ट मंगलवार को मुख्यालय को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्घटना के एक दिन पहले वाहन रात 11 बजे दिल्ली से चला था।
दुर्घटना स्थल पर 400 किमी का सफर तय कर वह 12 घंटे बाद, यानी सुबह 11.20 पर पहुंचा। इस दौरान वाहन चालक ने विभिन्न स्थानों पर कुल तीन घंटे का विश्राम लिया। इससे उसकी नींद भी पूरी नहीं हो पाई।
हिल एंडोर्समेंट के लिए आवेदन
वाहन चालक ने दुर्घटना के बाद हिल एंडोर्समेंट के लिए आवेदन किया था। इसका अर्थ यह हुआ कि उसे पहले इसकी जानकारी नहीं थी, यानी उसे पर्वतीय मार्ग पर वाहन संचालन का अनुभव नहीं था अथवा वह पहली बार पर्वतीय मार्ग पर वाहन का संचालन कर रहा था। जहां वाहन गिरा, उससे पहले और उसके आगे क्रैश बैरियर लगे हैं। केवल उस स्थान पर पांच पैराफिट लगे थे।
इनमें भी तीन वाहन ने तोड़ डाले थे। साफ है कि वाहन तेज गति से चल रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि यहां एक-दूसरे से जुड़े क्रैश बैरियर लगे होते तो वाहन नीचे गिरने से बच जाता और दुर्घटना में हताहत की संख्या न्यून होती। रिपोर्ट में चेकपोस्ट पर भी वाहन की चेकिंग न होने की बात कही गई है। तर्क यह दिया गया है कि चेकपोस्ट में जांचे गए वाहनों में इस वाहन का नंबर अंकित नहीं था।
साथ ही रिपोर्ट में पर्वतीय मार्ग पर बने सभी धार्मिक स्थलों के लिए ग्रीन कार्ड जारी करने की व्यवस्था लागू करने पर विचार करने का सुझाव भी दिया गया है। 15 जून को रुद्रप्रयाग के रैंतोली के पास हुई वाहन दुर्घटना में 15 व्यक्तियों की मृत्यु हुई थी। वाहन में 26 यात्री सवार थे।
संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारिका प्रसाद की अध्यक्षता में गठित लीड एजेंसी में सहायक निदेशक पुलिस अविनाश चौधरी, सहायक निदेशक परिवहन नरेश संगल व सहायक निदेशक लोनिवि संजय बिष्ट शामिल थे।