उत्तराखंड दैनिक समाचार :ब्यूरो
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग के प्रो. अजीत नेगी ने अपने M.Sc. वानिकी के द्वितीय सत्र के छात्रों को बांस उगाने से लेकर उसकी कटाई की प्रक्रिया को विस्तृत में बताया। बांस आजीविका बढ़ाने का उत्तम साधन है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बांस योजना की भी शुरुआत की गई है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए भी बांस एक अच्छा उपाय है। बांस के द्वारा बहुत सारे पदार्थ बनाए जा सकते हैं।
अच्छे मानसून मौसम में बांस में काफी कोपलें निकलती हैं इसलिए उनकी वृद्धि के आकार, रूप, दिशा को नियंत्रित करना व उनका प्रबंधन बहुत जरूरी हो जाता है, जिसके लिए उनकी छंटाई की जाती है। बांस को उगाना, उसका प्रबंधन, कोपलों की कटाई व सफाई, उसकी कटिंग आदि के बारे में बच्चों को बताया गया। बांस की कोपल पर महीन बाल होते हैं जो शरीर पर खुजली भी करते हैं, हालांकि ये आसानी से निकल भी जाते हैं। कोपल किस ऊंचाई व कहां से काटी जाती है व दो बांस के बीच कितनी दूरी रखी जानी चाहिए, इन सभी प्रक्रियाओं का बच्चों को वानिकी विभाग के अपने वनीकरण क्षेत्र में उगाए गए बांस के वृक्षारोपण पर प्रशिक्षण दिया गया। उसके बाद उन्हें बताया गया की बांस का इस्तेमाल खाने के व्यंजनों को बनाने में कैसे किया जाता है। बांस से बने व्यंजन काफी स्वादिष्ट होते हैं। बांस के अचार, सब्जी, पाउडर और मुरब्बे की व्यंजन विधि, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग से बच्चों को अवगत कराया गया। बांस को काटते वक्त की सावधानियों का भी ध्यान रखा गया। बांस कोबरा का निवास है। बांस के पास कोबरा अपना घोंसला बनाता है। साथ ही जंगल में जाते समय किन-किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, यह भी विस्तृत रूप से बताया गया। छात्रों ने काटे हुए बांस की सब्जी बनाकर अवसर का भरपूर आनंद लिया। इस अवसर पर हरितिका, सोनाली पंवार, निशा, आयुषी, करिश्मा, स्मृति, डोमा, सोनू, आनंद, संदीप, सोनाली सेमवाल आदि छात्रों ने भाग लिया।