🌞 *~ हिन्दू पंचांग ~* 🌞
🌤️ *दिनांक – 22 अगस्त 2023*
🌤️ *दिन – मंगलवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – वर्षा ॠतु*
🌤️ *अमांत – 6 गते श्रावण मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 1 श्रावण मास*
🌤️ *मास – श्रावण*
🌤️ *पक्ष – शुक्ल*
🌤️ *तिथि – षष्ठी 23 अगस्त रात्रि 03:05 तक तत्पश्चात सप्तमी*
🌤️ *नक्षत्र -चित्रा सुबह 06:31 तक तत्पश्चात स्वाती*
🌤️ *योग – शुक्ल रात्रि 10:18 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
🌤️ *राहुकाल – शाम 03:34 से शाम 05:10 तक*
🌞 *सूर्योदय-05:48*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:52*
👉 *दिशाशूल- उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – मंगलागौरी पूजन*
💥 *विशेष- षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *शरद ऋतु में कैसे करें स्वास्थ्य की रक्षा* 🌷
➡ *23 अगस्त 2023 बुधवार से शरद ऋतु प्रारंभ*
🌷 *शरद ऋतु में ध्यान देने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें :*
👉🏻 *१] रोगाणां शारदी माता | रोगों की माता है यह शरद ऋतु | वर्षा ऋतु में संचित पित्त इस ऋतु में प्रकुपित होता है | इसलिए शरद पूर्णिमा की चाँदनी में उस पित्त का शमन किया जाता हैं |*
*इस मौसम में खीर खानी चाहिए | खीर को भोजनों में ‘रसराज’ कहा गया है | सीता माता जब अशोक वाटिका में नजरकैद थीं तो रावण का भेजा हुआ भोजन तो क्या खायेंगी, तब इंद्र देवता खीर भेजते थे और सीताजी वह खाती थी |*
👉🏻 *२] इस ऋतु में दूध, घी, चावल, लौकी, पेठा, अंगूर, किशमिश, काली द्राक्ष तथा मौसम के अनुसार फल आदि स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं |* *गुलकंद खाने से भी पित्तशामक शक्ति पैदा होती है | रात को (सोने से कम-से-कम घंटाभर पहले ) मीठा दूध घूँट – घूँट मुँह में बार-बार घुमाते हुए पियें | दिन में ७ – ८ गिलास पानी शरीर में जाय, यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है |*
👉🏻 *३] खट्टे, खारे, तीखे पदार्थ व भारी खुराक का त्याग करना बुद्धिमत्ता है | तली हुई चीजें, अचारवाली खुराक, रात को देरी से खाना अथवा बासी खुराक खाना और देरी से सोना स्वास्थ्य के लिए खतरा है क्योंकि शरद ऋतु रोगों की माता है | कोई भी छोटा-मोटा रोग होगा तो इस ऋतु में भडकेगा इसलिए उसको बिठा दो |*
👉🏻 *४] शरद ऋतु में कड़वा रस बहुत उपयोगी है | कभी करेला चबा लिया, कभी नीम के १०-१२ पत्ते चबा लिये | यह कड़वा रस खाने में तो अच्छा नहीं लगता लेकिन भूख लगाता है और भोजन को पचा देता है |*
👉🏻 *५] पाचन ठीक करने का एक मंत्र भी है :*
🌷 *अगस्त्यं कुम्भकर्ण च शनिं च वडवानलम् |*
*आहारपरिपाकार्थ स्मरेद् भीमं च पंचमम् ||*
➡ *यह मंत्र पढ़के पेट पर हाथ घुमाने से भी पाचनतंत्र ठीक रहता हैं |*
👉🏻 *६] बार-बार मुँह चलाना (खाना) ठीक नहीं, दिन में दो बार भोजन करें | और वह सात्त्विक व सुपाच्य हो | भोजन शांत व प्रसन्न होकर करें | भगवन्नाम से आप्लावित ( तर, नम ) निगाह डालकर भोजन को प्रसाद बना के खायें |*
👉🏻 *७] ५० साल के बाद स्वास्थ्य जरा नपा-तुला रहता है, रोगप्रतिकारक शक्तिदबी रहती है | इस समय नमक, शक्कर और घी-तेल पाचन की स्थिति पर ध्यान देते हुए नपा-तुला खायें, थोडा भी ज्यादा खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |*
👉🏻 *८] कइयों की आँखें जलती होंगी, लाल हो जाती होंगी | कइयों को सिरदर्द होता होगा | तो एक –एक घूँट पानी मुँह में लेकर अंदर गरारा (कुल्ला) करता रहे और चाँदी का बर्तन मिले अथवा जो भी मिल जाय, उसमें पानी भर के आँख डुबा के पटपटाता जाय | मुँह में दुबारा पानी भर के फिर दूसरी आँख डुबा के ऐसा करें | फिर इसे कुछ बार दोहराये | इससे आँख व सिर की गर्मी निकलेगी | सिरदर्द और आँखों की जलन में आराम होगा व नेत्रज्योति में वृद्धि होगी |*
👉🏻 *९] अगर स्वस्थ रहना है और सात्त्विक सुख लेना है तो सुर्योदय के पहले उठना न भूलें | आरोग्य और प्रसन्नता की कुंजी है सुबह-सुबह वायु-सेवन करना | सूरज की किरणें नही निकली हों और चन्द्रमा की किरणें शांत हो गयी हों उस समय वातावरण में सात्तिवकता का प्रभाव होता है | वैज्ञानिक भाषा में कहें तो इस समय ओजोन वायु खूब मात्रा में होती है और वातावरण में ऋणायनों का प्रमाण अधिक होता है | वह स्वास्थ्यप्रद होती है | सुबह के समय की जो हवा है वह मरीज को भी थोड़ी सांत्वना देती है |*
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🌞 *~ वैदिक पंचांग ~* 🌞पंचक प्रारंभ : बुधवार, 30 अगस्त 2023 पूर्वाह्न 10:19 बजे
पंचक समाप्त: रविवार, 03 सितंबर 2023 पूर्वाह्न 10:38 बजे
पंचक प्रारंभ : मंगलवार, 26 सितंबर 2023 अपराह्न 08:28 बजे
पंचक समाप्त : शनिवार, 30 सितंबर 2023 को रात 09:08 बजे
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