रिलायंस ज्वेल्स डकैती प्रकरण में लूटे गए करीब 14 करोड़ के सोने के गहनों को लेकर दून पुलिस के हाथ सुराग लगे हैं। डकैती के सरगना शशांक सिंह ने पूछताछ में पुलिस के सामने इस संबंध में राजफाश किए हैं। पुलिस ने माल बरामदगी के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। बिहार से गिरफ्तार शशांक सिंह को पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर दून लाई थी और पूछताछ के बाद उसे कोर्ट में पेशकर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया है।
इस प्रकरण में अभी तक 11 आरोपित गिरफ्तार किए जा चुके हैं। शशांक को लेकर पुलिस को एक और अहम बात पता चली है। पुलिस के अनुसार, जेल में शशांक की मुलाकात सुबोध और राजीव से हुई थी। इन दोनों के कहने पर ही शशांक गिरोह चलाने लगा था। इन दोनों ने शशांक को जल्द जमानत करवाने और एक करोड़ रुपये देने का आश्वासन दिया था।
बिहार से किया गया था गिरफ्तार
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने बताया कि डकैती के सरगना शशांक सिंह उर्फ सोनू राजपूत को छह जनवरी की देर रात बिहार में पटना के बेऊर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था। पटना न्यायालय में पेश कर आरोपित को ट्रांजिट रिमांड पर देहरादून लाया गया। पूछताछ में शशांक ने बताया गया कि सुबोध गिरोह के सरगना सुबोध के साथ मिलकर उसने देहरादून में रिलायंस ज्वेल्स शोरूम को लूटने की योजना बनाई थी।
घटना को अंजाम देने के लिए प्रिंस कुमार, अखिलेश उर्फ अभिषेक, विक्रम कुशवाहा, राहुल व अविनाश को देहरादून भेजा गया था। सरगना शशांक ने पुलिस को लूटे गए गहनों को लेकर भी अहम जानकारी दी है। जिस पर पुलिस अब माल बरामद करने का प्रयास करेगी।
4 करोड़ की ज्वैलरी पर हाथ किया साफ
बता दें कि हथियारबंद बदमाशों ने पिछले साल नौ नवंबर को दून में रिलायंस ज्वेल्स में 14 करोड़ रुपये के सोने के गहनों की डकैती डाली थी। सुबोध गिरोह से जुड़कर बंगाल में की करोड़ों की डकैतियां शशांक ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि बिहार के कुख्यात सुबोध गिरोह के सरगना सुबोध से उसकी पहचान अपने मोहल्ले में रहने वाले रोशन सिंह नाम के व्यक्ति के माध्यम से हुई थी, जो सुबोध के लिए काम करता था। वर्ष 2015-16 में रोशन की हत्या होने के बाद शशांक सुबोध गिरोह का सक्रिय सदस्य बन गया।
पहले भी कर चुके है डकैती
आरोपित ने सुबोध व अन्य साथियों के साथ वर्ष 2016 में बैरकपुर, बंगाल में मन्नापुरम गोल्ड शॉप में 28 किलो सोने और वर्ष 2017 में आसनसोल, बंगाल में मुथुट फाइनेंस कंपनी में 55 किलो सोने की डकैती को अंजाम दिया। आरोपितों ने विशाखापट्टनम में भी लूट की योजना बनाई पर घटना से पहले ही शशांक को उसके तीन साथियों के साथ पुलिस ने दबोच लिया।
जेल में ही बनी थी लूट की योजना
सुबोध सिंह और उसके दो साथी मौके से फरार हो गए थे। शशांक नौ माह जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आया, लेकिन तभी सुबोध सिंह के साथ उसे भी पुलिस ने आसनसोल की घटना में गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेज दिया। सुबोध व राजीव के साथ जेल में ही बनाई योजना बेऊर जेल में शशांक की पहचान राजस्थान के एक हैकर से हुई। जिसने शशांक, सुबोध व राजीव कुमार सिंह उर्फ पुल्लु सिंह उर्फ सरदार को वर्चुअल सिम बनाने की जानकारी दी। सुबोध सिंह व राजीव सिंह से शशांक के जेल में अच्छे संबंध बन गए।
जेल से ही दे रहे थे निर्देश
आरोपित पहले वाट्सएप काल से जेल के भीतर से ही अपने गुर्गों को निर्देश देते थे, बाद में वर्चुअल सिम के माध्यम से बात करने लगे। सुबोध व राजीव ने शशांक से कहा कि उन्हें पुराने मुकदमों में जमानत करानी है और भविष्य में विधानसभा चुनाव लड़ना है, ऐसे में अब से गिरोह जो भी आपराधिक काम करेगा, उसमें मोबाइल फोन के जरिये शशांक ही गिरोह के सदस्यों से बात करेगा। उन्होंने शशांक को आश्वासन दिया कि वह उसकी जमानत जल्द से जल्द करा देंगे और उसे एक करोड़ रुपये भी देंगे। सहमत होकर आरोपित शशांक गिरोह चलाने लगा।
दून में डकैती के बाद भागने की योजना में किया बदलाव
सितंबर 2023 में शशांक, सुबोध सिंह व राजीव सिंह ने देहरादून में रिलायंस ज्वर्ल्स शोयम को लूटने की योजना बनाई। इसके लिए गिरोह के सदस्य अनिल ने रेकी की और शोरूम से भागने के मार्गों की जानकारी दी। शशांक ने गूगल मैप से घटनास्थल से आने-जाने का रूट मैप बनाया और अनिल सोनी को रूट देखने को कहा।
भागने का ऐसा था प्लान
अनिल सोनी ने बताया कि पांवटा साहिब और हरिद्वार वाला रूट देहरादून से बाहर निकलने के लिए ठीक है। घटना वाले दिन योजना यह थी कि विक्रम उर्फ पायलट शिमला बाईपास से अर्टिगा गाड़ी में डकैती का माल लेकर और अविनाश व राहुल को लेकर हरिद्वार की तरफ निकलेगा, लेकिन कई जगह पुलिस चेकिंग कर रही थी। ऐसे में दोनों बाइक और अर्टिगा कार में काफी दूरी हो गई। जिस कारण योजना बदलकर उन्हें नदी के रास्ते निकलकर पांवटा साहिब वाले रूट से जाने के लिए कहा गया। चेकिंग के चलते उन्होंने दोनों बाइक व अर्टिगा कार को रास्ते में ही छोड़ दिया व अलग-अलग माध्यमों से देहरादून से बाहर निकल गए।