भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में उपचार के बाद अब उनकी निरंतर निगरानी भी की जाएगी। इसके लिए उपचारित क्षेत्र में सेंसर लगाए जाएंगे, जिससे वहां भूमि में होने वाली हलचल की पहले ही जानकारी मिल सकेगी। नैनीताल की नैना पीक से यह शुरुआत होने जा रही है। इसके लिए उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र ने कसरत प्रारंभ कर दी है।
यह किसी से छिपा नहीं है कि संपूर्ण उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवेदनशील है। हर वर्षाकाल में अतिवृष्टि के चलते भूस्खलन से बड़े पैमाने पर जान-माल की क्षति राज्य को झेलनी पड़ रही है। यद्यपि, सवेदनशील भूस्खलन क्षेत्रों का उपचार भी हो रहा है, लेकिन कुछ समय ठीक रहने के बाद ये फिर से सक्रिय हो जाते हैं। इस सबको देखते हुए सरकार अब भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों के उपचार के बाद उनकी निरंतरता में निगरानी पर विशेष जोर दे रही है। इसमें आधुनिक तकनीकी का समावेश किया जाएगा।