अफगानिस्तान एक बार फिर भूकंप की त्रासदी का शिकार हुआ है। सोमवार देर रात 12 बजकर 47 मिनट पर 6.3 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे देश के कई हिस्सों में तबाही मच गई। इस भूकंप में अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 15 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं।
भूकंप का केंद्र जलालाबाद शहर से लगभग 27 किलोमीटर पूर्वोत्तर दिशा में, 8 किलोमीटर की गहराई में स्थित था। दाराह-ए-नूर जिले के साटिन गांव को सबसे अधिक क्षति पहुँची है, जहां कई मकान पूरी तरह से ढह गए। कई लोग मलबे के नीचे दबकर घायल हुए हैं।
मुख्य झटके के बाद अफगानिस्तान में चार बार और भूकंप के झटके महसूस किए गए। इनकी तीव्रता क्रमशः 4.7, 4.3, 5.0 और 5.0 रही। इन झटकों से जनता में भय व्याप्त हो गया और लोग रातभर घरों से बाहर खुले मैदानों में रुके रहे।
भूकंप के झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद समेत अन्य शहरों और भारत के दिल्ली-NCR क्षेत्र तक महसूस किए गए। हालांकि, इन देशों में जान-माल के नुकसान की कोई सूचना नहीं मिली है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अफगानिस्तान भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के मिलन बिंदु पर स्थित है। जब ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं, तो भूकंप उत्पन्न होते हैं। अफगानिस्तान का हिंदूकुश क्षेत्र, जहां चमन फॉल्ट और हरि रुद फॉल्ट जैसी भूकंपीय रेखाएं मौजूद हैं, विशेष रूप से भूकंप के लिए संवेदनशील है।
अफगानिस्तान में अधिकतर मकान कच्ची ईंटों और मिट्टी से बने होते हैं, जो भूकंप के झटकों को सहन नहीं कर पाते। यही कारण है कि हल्के से भी झटकों में बड़ी संख्या में इमारतें गिर जाती हैं और जनहानि होती है।
सरकारी एजेंसियां और स्थानीय प्रशासन राहत एवं बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं। मलबा हटाने का काम तेज़ी से चल रहा है। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
