भारत तेजी से सेमीकंडक्टर निर्माण के वैश्विक मानचित्र पर अपनी पहचान बना रहा है। नई दिल्ली में आयोजित ‘सेमीकॉन इंडिया 2025’ सम्मेलन में दुनिया की शीर्ष सेमीकंडक्टर कंपनियों ने भारत में निवेश और तकनीकी साझेदारी में रुचि दिखाई है।
तीन दिवसीय यह ऐतिहासिक सम्मेलन 2 से 4 सितंबर तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन सत्र में भाग लिया और भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा को विस्तार से प्रस्तुत किया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य भारत को ग्लोबल सेमीकंडक्टर हब बनाना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “सेमीकंडक्टर वह तकनीक है जो भविष्य की दिशा तय करेगी। पहले दुनिया में शक्ति का केंद्र तेल के कुएं हुआ करते थे, अब वह स्थान सेमीकंडक्टर चिप ने ले लिया है।” उन्होंने बताया कि भारत अब केवल चिप डिजाइन नहीं बल्कि उत्पादन और नवाचार के क्षेत्र में भी अग्रसर है।
🔹 वैश्विक कंपनियों की भागीदारी
‘सेमीकॉन इंडिया 2025’ सम्मेलन में इंटेल, क्वालकॉम, एनवीडिया, ब्रॉडकॉम, मीडियाटेक सहित 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भाग लिया। इन कंपनियों ने भारत में अपने रिसर्च एंड डेवलपमेंट (R&D) और निर्माण केंद्रों के विस्तार की योजना पर चर्चा की।
सम्मेलन के दौरान आयोजित सीईओ गोलमेज बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों से मुलाकात की। इस बातचीत में नीति, निवेश, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, और दीर्घकालिक साझेदारी जैसे विषयों पर संवाद हुआ।
🔹 चिप निर्माण में भारत की प्रगति
- वर्तमान में भारत में 10 से अधिक चिप निर्माण परियोजनाएं सक्रिय हैं।
- इनमें लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।
- भारत में बनने वाली चिप डिजाइन का 20% कार्य पहले से ही होता है।
- बेंगलुरु, हैदराबाद, और नोएडा जैसे शहर सेमीकंडक्टर हब बनते जा रहे हैं।
नीति और समर्थन
सरकार ने सेमीकंडक्टर नीति के तहत उत्पादन से जुड़ी योजनाओं (PLI स्कीम) को बढ़ावा दिया है। इसमें निवेशकों को टैक्स में छूट, भूमि और इंफ्रास्ट्रक्चर की सुविधा, और तकनीकी प्रशिक्षण जैसे प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण केवल तकनीकी प्रगति नहीं, बल्कि आर्थिक और सामरिक स्वतंत्रता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
निष्कर्ष
‘सेमीकॉन इंडिया 2025’ सम्मेलन भारत के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। इससे भारत वैश्विक सेमीकंडक्टर चेन का अभिन्न हिस्सा बन रहा है, और भविष्य में यह क्षेत्र रोजगार, नवाचार और आत्मनिर्भरता का प्रमुख स्रोत बन सकता है।
