हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष की शुरुआत इस वर्ष 7 सितंबर से हो रही है, जो 21 सितंबर तक चलेगा। यह 15 दिवसीय धार्मिक अवधि उन पूर्वजों को समर्पित होती है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। इस दौरान देशभर में श्रद्धालु तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं ताकि अपने पितरों की आत्मा को शांति मिल सके और उनका आशीर्वाद प्राप्त हो।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान पितृलोक के द्वार खुलते हैं और आत्माएं पृथ्वी पर आती हैं। इसलिए इन 15 दिनों को बेहद पवित्र और संवेदनशील माना जाता है।
🕉️ कैसे करें तर्पण?
- तर्पण का सबसे उपयुक्त समय दोपहर 11:53 से 1:34 बजे के बीच होता है।
- दक्षिण दिशा की ओर मुख करके, तांबे के पात्र में जल, दूध, काले तिल और जौ मिलाकर तर्पण किया जाता है।
- मंत्रों के साथ तीन बार जल अर्पित करना अनिवार्य होता है।
🙏 क्या करें और क्या न करें
- इस अवधि में किसी भी शुभ कार्य, जैसे विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश आदि से परहेज किया जाता है।
- लहसुन और प्याज का सेवन वर्जित होता है। केवल सात्विक भोजन ही बनाया जाता है।
- तर्पण के बाद कौवे, कुत्ते और गाय को भोजन कराना आवश्यक है, जिन्हें पितरों का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक आस्थाओं से जुड़ा यह समय लोगों को अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है। कई श्रद्धालु गंगा जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर जाकर तर्पण करते हैं।
पंडितों और धर्माचार्यों का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति विधिपूर्वक श्राद्ध करता है तो उसे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है
