स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के 75वें जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए उन्हें “सामाजिक समरसता और बंधुत्व के प्रतीक” के रूप में सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने इस विशेष अवसर पर एक विचारोत्तेजक लेख भी साझा किया, जिसमें उन्होंने भागवत के जीवन और कार्यों की सराहना की।
मोहन भागवत का जन्म 11 सितम्बर 1950 को हुआ था और आज वे 75 वर्ष पूरे कर चुके हैं। इस अवसर को और भी विशेष बनाता है यह तथ्य कि आरएसएस इस वर्ष अपनी शताब्दी मना रहा है — एक ऐसा संयोग जिसे प्रधानमंत्री ने “इतिहास का अनुपम संगम” कहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संदेश में लिखा:
“इस दिन एक ऐसे व्यक्तित्व का जन्म हुआ था जिन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत को अपने जीवन में उतारते हुए राष्ट्र निर्माण को ही अपना धर्म बना लिया।”
उन्होंने मोहन भागवत को “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की संकल्पना का सशक्त समर्थक बताया और कहा कि उनका जीवन आज के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
प्रधानमंत्री ने अपने लेख में इस बात को भी रेखांकित किया कि इस वर्ष: विजयादशमी, गांधी जयंती, लाल बहादुर शास्त्री जयंती, और आरएसएस का शताब्दी समारोह एक ही दिन पड़ रहे हैं, जो देश और संगठन के लिए एक अभूतपूर्व क्षण होगा।
मोदी ने भागवत के नेतृत्व को “स्थिर, संतुलित और दूरदर्शी” बताया। उन्होंने लिखा कि कठिन समय में भी मोहन भागवत ने आरएसएस को न केवल मजबूत रखा, बल्कि सामाजिक सरोकारों से भी जोड़ा।
प्रधानमंत्री के शब्दों में:
“समाज में एकता, सद्भाव और समरसता की स्थापना के लिए उनका योगदान अमूल्य है। वे भारत की आत्मा को जागृत रखने वाले व्यक्तित्व हैं।”
भागवत के जन्मदिन पर देशभर में सेवा कार्य, संगोष्ठियाँ, विचार-विमर्श, रक्तदान शिविर, और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। संघ कार्यकर्ताओं और अनुयायियों ने इस दिन को “संघ प्रेरणा दिवस” के रूप में मनाया।
