बीते चार महीनों में उत्तराखंड ने एक के बाद एक प्राकृतिक आपदाओं का सामना किया — धराली में बाढ़, चमोली व टिहरी में भूस्खलन, देहरादून और मसूरी में अतिवृष्टि और पिथौरागढ़ में मार्ग अवरुद्ध होने जैसी कई घटनाएं राज्य को चुनौती देती रहीं। मगर इस बार संकट के बीच सरकार का त्वरित और संगठित प्रतिक्रिया तंत्र सामने आया, जिसे अब लोग ‘धामी मॉडल’ के नाम से जान रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में न केवल राहत और बचाव कार्य तेजी से हुए, बल्कि स्थल पर स्वयं मौजूद रहकर मुख्यमंत्री ने राहत अभियानों की निगरानी की, जिससे जनता का भरोसा बढ़ा और प्रशासनिक तंत्र को स्पष्ट दिशा मिली।
धराली में अचानक आई तबाही के बाद SDRF, NDRF, सेना और स्थानीय प्रशासन की संयुक्त तैनाती के साथ हेलीकॉप्टर से राहत सामग्री, रेस्क्यू ऑपरेशन, और राहत शिविरों की स्थापना तुरंत शुरू की गई। मुख्यमंत्री द्वारा प्रत्येक प्रभावित क्षेत्र में जाकर सीधे संवाद करने से जनता को विश्वास मिला कि शासन उनके साथ है।
राज्य सरकार ने कई स्थानों पर ₹5 लाख तक की आर्थिक सहायता, पुनर्वास पैकेज और त्वरित चेक वितरण की व्यवस्था की। वहीं, केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के लिए ₹1,200 करोड़ के विशेष राहत पैकेज की घोषणा की, जिसमें पुनर्निर्माण, सड़क, बिजली और पीड़ित परिवारों की सहायता शामिल है।
‘धामी मॉडल’ की खासियत है:
- पूर्व चेतावनी और सतर्कता प्रणाली
- मल्टी-एजेंसी एक्शन प्लान
- स्थानीय प्रतिनिधियों की भागीदारी
- पारदर्शी राहत वितरण
- दीर्घकालिक पुनर्वास की ठोस योजना
हाल ही में एक राष्ट्रीय मीडिया हाउस के सर्वे में, आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य बताया गया है।
