नैनीताल, उत्तराखंड | अक्टूबर 2025
उत्तराखंड हाईकोर्ट में एक महिला ने अपने पति और उसके परिवार के स्वयंभू संत रामपाल के अनुयायी होने और हिंदू रीति-रिवाजों का पालन नहीं करने के आधार पर तलाक की याचिका दायर की। महिला ने दावा किया कि उसके पति और परिवार ने उस पर भी अपने धर्म और रीति-रिवाज छोड़ने का दबाव डाला।
महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति के परिवार ने उसके घर से मंदिर हटा दिया और देवी-देवताओं की मूर्तियों को कपड़ों में बांधकर बाहर रख दिया। इसके अलावा, पति ने उनके 7 साल के बेटे का नामकरण संस्कार करने से भी इनकार किया, यह कहते हुए कि उसका आध्यात्मिक मार्ग यह अनुमति नहीं देता।
नैनीताल फैमिली कोर्ट ने पहले महिला की अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद महिला ने हाईकोर्ट का रुख किया। जस्टिस रवींद्र मैठाणी और जस्टिस आलोक माहरा की डिवीजन बेंच ने दंपति की दलीलें सुनने के बाद उन्हें सुलह की संभावनाएं तलाशने के लिए काउंसलिंग के लिए भेजा। कोर्ट ने यह कदम विशेष रूप से उनके 7 साल के बेटे के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए उठाया।
