खराब मीटर का ठीकरा ऊर्जा निगम अब उपभोक्ताओं पर नहीं फोड़ पाएगा। घर के बाहर मीटर लगे होने पर अब ऊर्जा निगम ही खराबी के लिए जिम्मेदार होगा। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं की परेशानी को देखते हुए ऊर्जा निगम की कार्यशैली पर नाराजगी जताई और खराब मीटर की जिम्मेदारी लेने के निर्देश दिए। जिस पर ऊर्जा निगम ने नई गाइडलाइन जारी कर दी है।
काटने पड़ते हैं ऊर्जा निगम के चक्कर
उपभोक्ताओं को मीटर खराब होने पर ऊर्जा निगम के चक्कर काटने पड़ते हैं। साथ ही ऊर्जा निगम की ओर से खराब मीटर बदलने के लिए उपभोक्ताओं पर ही वित्तीय भार डाला जाता है। इसे देखते हुए उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने ऊर्जा निगम को दिशा-निर्देश दिए हैं।
अब से नई गाइडलाइन के अनुसार, घरों के बाहर लगे मीटर खराब होने पर पूर्ण जिम्मेदारी ऊर्जा निगम की होगी। जबकि, गेट के भीतर लगे मीटर में खराबी आने पर पुराने नियमों के अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी। मीटर खराब होने या फुंकने पर ऊर्जा निगम के टोल-फ्री नंबर पर काल कर शिकायत दर्ज कराएं या फिर ऊर्जा निगम की बेवसाइट पर मीटर की जानकारी के साथ शिकायत करें।
30 दिन के भीतर परीक्षण करने का प्रविधान
मीटर खराब होने की शिकायत पर 30 दिन के भीतर परीक्षण करने का प्रविधान है। इसके बाद 15 दिन के भीतर मीटर न बदला तो 50 रुपये प्रतिदिन हर्जाना लगाया जाता है। फुंके हुए मीटर की शिकायत पर ऊर्जा निगम को छह घंटे के भीतर आपूर्ति बहाल करनी होती है।
हालांकि, अभी तक इसके लिए उपभोक्ता की जिम्मेदारी के आधार पर ऊर्जा निगम शुल्क वसूलता था, लेकिन अब गेट के बाहर लगे मीटर को ठीक करने या बदलने की पूर्ण जिम्मेदारी निगम की ही होगी।