उत्तराखंड में बीते कुछ दिनों से मौसम तीखे तेवर दिखा रहा है। चिलचिलाती धूप और गर्म लू के थपेड़े मैदान से लेकर पहाड़ तक लोगों को झुलसा रहे हैं। रात में भी तापमान सामान्य से कई अधिक है। उस पर बिजली कटौती बेहाल कर रही है। जिस कारण लोगों की नींद में भी खलल पड़ रहा है। थकान, अत्याधिक क्रोध, चिड़चिड़ापन, मुंह सूखना जैसे दुष्प्रभाव उनमें दिख रहे हैं।
न्यूरो साइकोलाजिस्ट डा. सोना कौशल गुप्ता ने बताया कि बच्चों से लेकर बड़ों तक में स्लीप डेप्रिवेशन की समस्या दिख रही है। किसी भी व्यक्ति के लिए कम से कम सात घंटे की नींद आवश्यक है। कुछ समय से पड़ रही भीषण गर्मी के कारण नींद में कमी की शिकायत लोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नींद पूरी न होने की वजह से आपको कई शारीरिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस वजह से लोगों में अधिक गुस्सा, असंतोष और थकावट आदि की दिक्कत दिखती है। जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) की मनोचिकित्सक डा. निशा सिंघला के अनुसार, नींद पूरी न होने से पैरासोमनिया स्लीप डिसआर्डर की भी समस्या हो सकती है। जिससे नींद से चौंककर उठ जाना, भयाक्रांत मनोदशा से नींद के टूटने पर चिल्लाना, दिल की धड़कन तेज होना, मुंह सूखने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि व्यक्ति पर्याप्त नींद लें।
यह है जरूरी
- अपने सोने-जागने का समय निर्धारित करें। इससे आपके शरीर की सर्कैडियन रिदम सेट होती है, जिससे स्लीप साइकिल बेहतर रहती है।
- सोते समय कमरे में अंधेरा करके सोएं। रोशनी की वजह से स्लीप हार्मोन मेलाटोनिन कम बनता है, जिससे स्लीप साइकिल बिगड़ सकती है।
- सोने से पहले काफी या एल्कोहल का सेवन न करें। कैफीन और एल्कोहल आपकी नींद में खलल डाल सकते हैं।
- तनाव अधिक होने की वजह से नींद न आने की समस्या हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप स्ट्रेस मैनेजमेंट सीखें।
- व्यायाम करने से सेहत के साथ-साथ आपकी नींद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इसलिए रोज थोड़ी देर व्यायाम जरूर करें।