भीषण गर्मी के चलते प्रदेश में पहली बार दैनिक विद्युत खपत 62 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है। जिसके चलते आपूर्ति सुचारु रखने में ऊर्जा निगम के हाथ-पांव फूल रहे हैं। जगह-जगह फाल्ट और ट्रिपिंग के कारण दिनभर बत्ती गुल हो रही है और उपभोक्ता हलकान हैं। ऐसे में ऊर्जा निगम ने भी उपभोक्ताओं को समझदारी के साथ बिजली का उपयोग करने की अपील की है।
दून में गुरुवार को भी कई इलाकों में सुबह से बिजली की आंख-मिचौनी चलती रही। भीषण गर्मी के कारण घरों व दफ्तरों में चल रहे एसी-कूलर के कारण ट्रांसफार्मरों पर लोड बढ़ा हुआ है। जिससे छोटे-बड़े फाल्ट विद्युत आपूर्ति में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। इसके अलावा लाइनों में भी ट्रिपिंग की समस्या बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी बिजली की अघोषित कटौती रुला रही है। देहराखास, पटेल नगर, सहस्रधारा रोड, हरिद्वार बाईपास, नालापानी, तरला आमवाला, नागल, रायपुर, आराघर आदि क्षेत्रों में कई बार बत्ती गुल होती रही। जिसका कारण लोड अधिक होने से उपकरणों में आ रही दिक्कत बताई गई।
संकट की घड़ी में ऊर्जा निगम ने मांगा उपभोक्ताओं से सहयोग
बीते बुधवार को प्रदेश में विद्युत की कुल मांग सर्वाधिक 61.95 मिलियन यूनिट दर्ज की गई। मांग के सापेक्ष ऊर्जा निगम की ओर से विद्युत उपलब्धता के लिए भरसक प्रयास किए गए और कुल उपलब्धता भी 61.95 एमयू रही। हालांकि, फाल्ट आदि के कारण बिजली आपूर्ति प्रभावित होती रही। ऊर्जा निगम की ओर से संकट की इस घड़ी में उपभोक्ताओं से सहयोग की अपील की गई है।
ऊर्जा निगम ने उपभोक्ताओं से की अपील
- विद्युत उपकरणों जैसे पंखा, लाइट, फ्रिज, एसी आदि का मितव्ययता से उपयोग करें
- एसी पर तापमान 24 डिग्री सेल्सियस पर ही रखना सुनिश्चित करें
- कमरे में कोई व्यक्ति न होने पर लाइट, पंखा, एसी, कूलर आदि को स्विच आफ कर दें
- परिसर, कारिडोर, शौचालय व अन्य स्थानों पर दिन के समय लाइट का प्रयोग न करें
- बच्चों को भी विद्युत की बचत के संबंध में जागरूक करें
पंखे-कूलर से ट्रांसफार्मर किए जा रहे ठंडे
भीषण गर्मी में विद्युत उपकरण भी जवाब दे रहे हैं। जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो रही है। ऐसे में ऊर्जा निगम के बिजली घरों में स्थित बड़े ट्रांसफार्मरों को पंखे व कूलर की हवा से ठंडा किया जा रहा है। ऊर्जा निगम के कर्मचारी दिनभर ट्रांसफार्मर के आसपास कूलर चला रहे हैं। इसके अलावा गीली बोरियां व पानी के छिड़काव से भी उपकरण ठंडे रखने का प्रयास किया जा रहा है। यमुना कालोनी स्थित बिजली घर में ऊर्जा निगम के कर्मचारी पंखा और कूलर चलाकर ट्रांसफार्मर का तापमान नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रदेश में बिजली की मांग और उपलब्धता
- दिन, उपलब्धता, मांग
- 29 मई, 59.83, 61.95
- 28 मई, 59.96, 60.09
- 27 मई, 59.83, 59.13
- 26 मई, 57.01, 56.43
- 25 मई, 60.83, 60.09
- 24 मई, 58.44, 59.33
- 23 मई, 57.72, 57.81
कूलर के लोड पर चल रहे एसी, ट्रिपिंग से परेशान लोग
दून में भीषण गर्मी के बीच एसी-कूलर का प्रयोग भी बेतहाशा हो रहा है। ऐसे में अत्यधिक लोड बढ़ने से बिजली आपूर्ति व्यवस्था चरमरा गई है। इसके लिए क्षमता से अधिक बिजली खपत को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। दो से तीन किलोवाट के कनेक्शन पर पांच किलोवाट भार क्षमता के हिसाब से बिजली का उपभोग होने से ट्रांसफार्मर से लाइन ट्रिप हो रही है। ऐसे में ऊर्जा निगम ने उपभोक्ताओं से कनेक्शन का भार बढ़ाने की अपील की है।
शहरी क्षेत्रों में बिजली की मांग सर्वाधिक है। इन दिनों गर्मी के कारण एसी, कूलर, पंखे का प्रयोग बढ़ गया है। इसके अलावा मैदानी क्षेत्रों के घरों में एसी की संख्या भी बढ़ रही है। जिससे बिजली खपत और बिजली घरों पर लोड बढ़ा है। दून की बात करें तो पुराने भवनों में दो से तीन किलोवाट भार के कनेक्शन लिए गए हैं। समय से साथ उक्त घरों में विद्युत उपकरणों की संख्या बढ़ने से खपत बढ़ी है।
ऐसे में क्षेत्र की विद्युत वितरण व्यवस्था पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है और लाइन में ट्रिपिंग की समस्या खासी बढ़ गई है। कई क्षेत्रों में ट्रिपिंग के कारण दिनभर में कई बार बिजली गुल हो रही है। जिससे छोटे मकानों में बिना एसी के रहने वाले उपभोक्ता भी परेशान हो रहे हैं। उत्तराखंड में बिजली की मांग पिछले वर्षों की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है। कनेक्शन भार बढ़ाने के लिए घर-घर जाएगी टीम ऊर्जा निगम की ओर से घर-घर जाकर उपभोक्ताओं को कनेक्शन भार बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
निदेशक परिचालन ने बताया कि निगम की ओर से पिछले कुछ माह से उपभोक्ताओं को एसएमएस भेजकर कनेक्शन भार बढ़ाने को कहा जा रहा है। दो से तीन किलोवाट भार वाले कनेक्शन पर अब बिजली का उपभोग पांच किलोवाट भार क्षमता तक या इससे अधिक किया जा रहा है। जिससे ट्रांसफार्मर से लेकर लाइन ट्रिप होने की आशंका रहती है। बिजली घर से लेकर कालोनी में स्थित ट्रांसफार्मर से विद्युत आपूर्ति निर्धारित भार क्षमता के अनुसार की जाती है। भार बढ़ने के कारण ट्रिपिंग की समस्या से निजात मिल सकेगी।