राष्ट्रीय एवं सामरिक महत्व से जुड़ी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में सुरंगों की खोदाई में प्रयोग की जा रहीं टनल बोरिंग मशीन शिव और शक्ति हिमालय के पहाड़ों में सामने आ रही चुनौतियों से लड़कर कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं।
उत्तराखंड में नवंबर-2023 में आल वेदर रोड परियोजना की सिलक्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन के बाद रेल परियोजना की सुरंगों में खतरे की आशंका को नकारते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे सुरंग खोदाई और निर्माण के लिए जिस तकनीक का प्रयोग कर रहा है, उसमें खोदाई के साथ प्रत्येक मीटर पर कंक्रीटिंग की जाती है। जिससे सुरंग को मजबूती मिलती है।
जून में रिकार्ड 796 मीटर सुरंग का निर्माण
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना की सबसे लंबी सुरंगों में काम कर रही दो टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) शिव और शक्ति ने इसी वर्ष जून में रिकार्ड 796 मीटर सुरंग का निर्माण कार्य पूरा किया। इसमें 552 मीटर खोदाई शक्ति और 244 मीटर खोदाई शिव से की गई। इससे पहले मई तक इन मशीनों से हर माह औसतन 500 मीटर खोदाई की जा रही थी।
इन मशीनों का व्यास 9.11 मीटर और लंबाई 140 मीटर है, जो 7.8 मीटर की फिनिश्ड लाइनिंग वाली सुरंगें बनाने के लिए डिजाइन की गई हैं। शक्ति ने 16 दिसंबर 2022 और शिव ने एक मार्च 2023 को खोदाई का कार्य शुरू किया था।
शक्ति ने अब तक सात किमी से अधिक खोदाई कर कीर्तिमान स्थापित किया है, जबकि शिव से छह किमी से अधिक खोदाई की जा चुकी है। रेल मंत्री ने दावा किया कि यह प्रगति इंजीनियरिंग व परियोजना प्रबंधन उत्कृष्टता में नया मानक स्थापित करती है।
80 प्रतिशत हो चुकी सुरंगों की खोदाई
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की स्वप्निल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना कुल 16,216 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो रही है।
- परियोजना में सुरंगों की खोदाई की बात करें तो अब तक 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है।
- ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी लंबी इस परियोजना में 104 किमी लंबी रेल लाइन 17 सुरंगों से होकर गुजरेगी।
- मुख्य सुरंगों के साथ आपात स्थिति के लिए 12 निकास सुरंग और इन दोनों सुरंगों को जोड़ने के लिए क्रास पैसेज व निकास सुरंगों को नेशनल हाईवे से जोड़ने के लिए एडिट सुरंगों का निर्माण भी किया जा रहा है।
- इन्हें मिलाकर सुरंगों की कुल लंबाई4 किमी है।
उत्तराखंड में चल रही हैं ये रेल परियोजनाएं
मुरादाबाद मंडल के डीसीएम आदित्य गुप्ता ने बताया कि उत्तराखंड में वर्ष 2014 से 2024 तक 69 किमी के नए रेल ट्रैक बिछे हैं। इस अवधि में 303 किमी की रेल लाइनों का विद्युतीकरण किया गया है।
आज प्रदेश की हर रेलवे लाइन बिजलीयुक्त है। इसके अलावा राज्य में 70 रेल ब्रिज और अंडर ब्रिज का निर्माण हो चुका है। राज्य में 216 किमी की तीन रेल परियोजनाओं (रेलवे ट्रैक) का काम चल रहा है , जिसकी लागत 25,941 करोड़ रुपये है।
देहरादून, हरिद्वार जंक्शन, हर्रावाला, काशीपुर जंक्शन, काठगोदाम, किच्छा, कोटद्वार, लालकुआं जंक्शन, रामनगर, रुड़की व टनकपुर को अमृत स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है।