जमीन दिलाने के नाम पर आरोपित दंपति ने भारतीय अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद देहरादून में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अन्तर्गत संस्थान में कार्यरत वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी से 11 लाख रुपये ठग लिए।
पुलिस को दी तहरीर में वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी प्रभात कुमार निवासी वन विहार शिमला बाइपास ने बताया कि उन्हें पाश कॉलोनी में जमीन की जरूरत थी। ऐसे में उन्होंने कार्यालय में संविदा के पद पर कार्यरत वीरेंद्र प्रसाद खंकरियाल को जमीन देखने को कहा तो उन्होंने रामनरेश नौटियाल मूल निवासी पुरोला का मोबाइल नंबर दिया गया।
शिकायतकर्ता ने बताया कि जब उन्होंने रामनरेश नौटियाल से फोन पर जमीन के बारे में बात की तो रामनरेश नौटियाल व उनकी पत्नी सोनम नौटियाल ने मोहित नगर, महारानी बाग, इंजीनियर्स एनक्लेव, नेहरू एनक्लेव व विजय पार्क में कई जगह जमीन भूमि दिखाई।
उन्हें विजय पार्क में जमीन पसंद आई तो आरोपितों ने जमीन के दस्तावेज दिखाए व कहा कि उनका जमीन के मूल मालिक से अनुबंध हो रखा है। दोनों पक्षों के बीच जमीन का सौदा एक करोड़ 11 लाख रुपये में हुआ।
11 लाख रुपये ऑनलाइन कराए ट्रांसफर
आरोपित रामनरेश नौटियाल व उनकी पत्नी सोनम नौटियाल के कहने पर उनको बतौर बयाना 11 लाख रुपये आनलाइन ट्रांसफर कर दिए। बाद में पता चला कि जमीन बागवानी क्षेत्र की है और उस पर मकान का निर्माण नहीं किया जा सकता है।
जांच पड़ताल करने पर पता चला कि आरोपित रामनरेश के विरुद्ध जमीनी धोखाधड़ी के कई मुकदमे दर्ज हैं और वह इस समय जेल में बंद है। वसंत विहार थानाध्यक्ष प्रदीप रावत ने बताया कि आरोपित पति पत्नी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
धोखाधड़ी के मामले में दो पार्टनर सहित तीन के खिलाफ मुकदमा
पार्टनरशिप कंपनी में धोखाधड़ी और लाखों की हेराफेरी का आरोप लगाते हुए एक पार्टनर ने दो अन्य पार्टनरों समेत तीन पर केस दर्ज कराया है। कोर्ट के आदेश पर वसंत विहार थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। फरीदाबाद सेक्टर 17 निवासी व्यवसायी सुभाष शर्मा ने कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर बताया कि 2013 में रजिस्ट्रर्ड साझेदारी के तहत कंपनी बनाई गई थी। राकेश ठाकुर के पास 51 प्रतिशत, गोविंद सिंह के पास 24 प्रतिशत और सुभाष शर्मा के पास 25 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
शुरुआती दिनों में उन्होंने व्यवसाय में पूंजी लगाई। अन्य साझेदारों ने फर्जी लेनदेन और नकदी गबन जैसे आर्थिक अपराध किए। शिकायत के अनुसार साझेदारों ने कंपनी के बैंक खातों से नकदी निकाली और निर्माण उपकरण के फर्जी दावे पेश किए।
राकेश ठाकुर ने एक बैंक खाते से 10 लाख रुपये निकाले और 85 लाख रुपये का गबन पीके सक्सेना के खाते में किया गया। इसके अलावा, शिकायतकर्ता को चेक बाउंस मामलों में फंसाकर 65 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले में उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोर्ट के आदेश पर बसंत विहार थाना पुलिस ने मामले में केस दर्ज किया है। थानाध्यक्ष प्रदीप रावत ने बताया कि पुलिस जांच कर रही है।