देहरादून समेत ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम शुष्क बना हुआ है और पारा भी सामान्य से अधिक है। ऐसे में दिन गर्म होने लगे हैं और धूप भी चुभ रही है। हालांकि, सुबह-शाम हल्की ठिठुरन बरकरार है। अगले कुछ दिन प्रदेश में मौसम शुष्क रहने के आसार हैं, लेकिन आगामी तीन फरवरी से मौसम फिर करवट ले सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार, पहाड़ों में बर्फबारी और मैदानी क्षेत्रों में वर्षा हो सकती है। गुरुवार को सुबह से ही दून समेत आसपास के क्षेत्रों में धूप खिली रही। दिनभर तेज धूप से मौसम में गर्माहट महसूस की गई। दून का तापमान भी सामान्य से चार डिग्री सेल्सियस अधिक बना रहा।
पर्वतीय क्षेत्रों में पाला बढ़ा रहा परेशानी
इसके अलावा न्यूनतम तापमान भी सामान्य से अधिक है। हालांकि, मैदानी क्षेत्रों में हल्की धुंध और पर्वतीय क्षेत्रों में पाला परेशानी बढ़ा रहा है। पहाड़ों में भी दिन में ठंड कम होने लगी है। प्रदेशभर में ही अभी से पारा चढ़ रहा है। हालांकि, अगले सप्ताह वर्षा-बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। जिससे पारे में गिरावट आने की उम्मीद है।
आज शुष्क रहेगा मौसम
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि आज यानी कि शुक्रवार को ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम शुष्क बना रह सकता है। पारा भी सामान्य से अधिक बना रहने के आसार हैं। आगामी एक फरवरी को पर्वतीय क्षेत्रों में आंशिक बादल छाए रह सकते हैं।
तीन फरवरी से बदलेगा मौसम
इसके बाद पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने से तीन फरवरी से प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में बादल विकसित होने का पूर्वानुमान है। चार फरवरी को प्रदेश में 3000 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हिमपात और निचले इलाकों में तीव्र वर्षा होने की आशंका है।
शहर व अधिकतम और न्यूनतम तापमान
- देहरादून, 24.7, 8.4
- ऊधमसिंह नगर, 24.6, 6.6
- मुक्तेश्वर, 16.1, 3.6
- नई टिहरी, 16.6, 5.0
नैनीताल में अब नहीं गिरता पाला
नैनीताल। सरोवर नगरी में शीतकाल में बर्फबारी के साथ पाला गिरना करीब-करीब बंद हो चला है। पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो तापमान में वृद्धि से पाला गिरना बंद हुआ है। जलवायु परिवर्तन का बड़ा प्रभाव नैनीताल के मौसम में नजर आने लगा है। अतीत में नैनीताल में शीतकाल में बहुत सर्दी होती थी। जिसमें पाले की बड़ी भूमिका होती थी।
हालांकि इस बार दिसंबर के दो दिन छोड़ दें तो यहां बाकी दिनों में पाला नहीं गिरा। नौ दिसंबर को बर्फ गिरने के बाद दो दिन पाला गिरा। अब जनवरी माह खत्म होने को है और पाला गिरना बंद हो गया है। आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के निदेशक व वायुमंडलीय विज्ञानी डॉ. मनीष नाजा इसकी वजह तेजी से बढ़ते तापमान बताते हैं।
इस बार लगातार बढ़ता रहा तापमान
वह कहते हैं इस बार तापमान निरंतर बढ़ता रहा। तापमान का निचला स्तर गिरने के बजाय बढ़ रहा है। जिससे पाला गिरने की कंडीशन बन ही नहीं पाई। इसका बुरा असर नमी पर पड़ा है। आद्रता की मात्रा सामान्य स्तर तक नहीं पहुंच पाई। आद्रता में कमी आने से भी पाले में असर पड़ा है। पाला भले ही कृषि के लिए हानिकारक है, लेकिन पर्यावरण की दृष्टि से इसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। अभी फरवरी माह शेष है, जिसमें पाला गिरने की उम्मीद की जा सकती है।
