हर साल जैसे ही भाद्रपद मास की शुरुआत होती है, एक अलग ही ऊर्जा चारों ओर महसूस होने लगती है। बाज़ार सजने लगते हैं, घरों में सफाई शुरू हो जाती है, और बच्चों की जुबां पर बस एक ही नाम गूंजता है —
“गणपति बप्पा मोरया!”
लेकिन क्या आपने कभी रुककर ये सोचा है कि गणेश उत्सव सिर्फ 10 दिनों का ही क्यों होता है?
आइए इस सवाल का जवाब ढूंढते हैं, और जानते हैं 2025 की गणेश चतुर्थी की तारीख।
📌 गणेश चतुर्थी 2025: बप्पा का आगमन कब?
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तारीख: बुधवार, 27 अगस्त 2025
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इस दिन से ही गणेश उत्सव की शुरुआत होगी।
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घरों, पंडालों और मंदिरों में गणपति की मूर्तियाँ स्थापित की जाएंगी और अगले 10 दिनों तक पूजा, भजन और उत्सव का माहौल बना रहेगा।
🕉️ गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?
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मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था।
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वे बुद्धि, समृद्धि और शुभता के देवता हैं।
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लोग उन्हें अपने घर बुलाते हैं ताकि वे विघ्नों को दूर करें और सुख-शांति लाएं।
❓ लेकिन 10 दिन ही क्यों?
🕰️ 1. धार्मिक कारण:
कहा जाता है कि गणपति जी धरती पर सिर्फ 10 दिनों के लिए आते हैं। इस दौरान वे अपने भक्तों की प्रार्थनाएँ सुनते हैं, और फिर अनंत चतुर्दशी के दिन अपने लोक लौट जाते हैं।
📖 2. शास्त्रीय मान्यता:
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक का समय विशेष पुण्यदायक माना गया है, और ये 10 दिन गणेश उपासना के लिए सबसे शुभ होते हैं।
🇮🇳 3. इतिहास से जुड़ाव:
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों के खिलाफ जनजागृति फैलाने के लिए सार्वजनिक गणेश उत्सव की शुरुआत की थी। उन्होंने इसे 10 दिनों तक मनाने की परंपरा बनाई ताकि लोग एक साथ जुड़ सकें।
🎭 4. सामाजिक-सांस्कृतिक कारण:
ये 10 दिन सिर्फ पूजा-पाठ के नहीं, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों, नाटक, संगीत, भजन, सामूहिक आयोजनों से भी भरपूर होते हैं। हर वर्ग, हर आयु के लोग इसमें भाग लेते हैं।
🌊 अनंत चतुर्दशी: बप्पा को विदा करने का दिन
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तारीख: शनिवार, 6 सितंबर 2025
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इस दिन भक्त बड़े धूमधाम से बप्पा का विसर्जन करते हैं, और कहते हैं:
“गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ!”
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यह पल भावुक होता है, क्योंकि बप्पा से विदाई लेना आसान नहीं होता।
💡 क्या सीख मिलती है इस पर्व से?
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हर साल बप्पा हमें सिखाते हैं कि समय सीमित है, इसलिए प्रेम, सेवा और भक्ति में जीवन बिताओ।
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वे हमें जोड़ते हैं — धर्म, भाषा, वर्ग से ऊपर उठकर एकता का संदेश देते हैं।
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यही कारण है कि ये 10 दिन हर साल दिल में बस जाते हैं
