जापान एक बार फिर अपने दीर्घायु नागरिकों की बदौलत वैश्विक सुर्खियों में है। हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, देश में अब 1,00,000 से अधिक लोग 100 वर्ष या उससे अधिक की आयु तक पहुंच चुके हैं। यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की प्रगति का संकेत है, बल्कि जापानी समाज की जीवनशैली, सोच और सांस्कृतिक मूल्यों की सफलता भी है।
आंकड़ों में दीर्घायु
कुल सेंचुरियन (100 वर्ष या अधिक आयु): 99,763
महिलाएं: 87,784
पुरुष: 11,979
- सबसे बुजुर्ग महिला: शिगेको कागावा (114 वर्ष)
- सबसे बुजुर्ग पुरुष: कियोताका मिजुनो (111 वर्ष)
इन आंकड़ों ने जापान को फिर एक बार “दीर्घायु की राजधानी” बना दिया है।
हर साल 15 सितंबर को जापान में ‘वृद्धजन दिवस’ मनाया जाता है। इस अवसर पर सरकार उन नागरिकों को विशेष रूप से सम्मानित करती है जिन्होंने 100 वर्ष की आयु पूरी कर ली है। इस वर्ष 52,310 लोगों को सरकारी बधाई पत्र और विशेष चांदी का कप प्रदान किया गया।
विशेषज्ञों के अनुसार, जापानी लोगों की लंबी उम्र का राज कुछ खास आदतों में छुपा है:
- स्वस्थ खान-पान: कम वसा, कम चीनी, ताजे फल-सब्जियां, समुद्री आहार।
- कम मात्रा में भोजन: “हरा हाची बु” यानी पेट भरने से थोड़ा कम खाना।
- शारीरिक सक्रियता: नियमित टहलना, हल्का व्यायाम, योग और बागवानी।
- मानसिक संतुलन: ध्यान, सामाजिक जुड़ाव और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण।
- सामाजिक संरचना: बुजुर्गों को समाज में उच्च सम्मान और परिवार का हिस्सा माना जाता है।
डॉ. यामामोटो काजुहिको, जापान के वरिष्ठ जेरियाट्रिक विशेषज्ञ का कहना है:
“यह केवल चिकित्सा की जीत नहीं, बल्कि एक जीवन पद्धति का परिणाम है। जापानी लोग उम्र को थामते नहीं, उसे अपनाते हैं।”
जापान की यह उपलब्धि उन देशों के लिए एक उदाहरण है जहां बढ़ती उम्र को बोझ समझा जाता है। यह दिखाता है कि उम्र बढ़ना दुर्बलता नहीं, बल्कि अनुभव, अनुशासन और जीवन के प्रति समझ का प्रतीक हो सकता है।
