दुनिया जहां टीवी और वेब सीरीज़ को मनोरंजन का साधन मानती है, वहीं उत्तर कोरिया में यह एक ‘अपराध’ बन चुका है — और इसकी सजा है मौत।
संयुक्त राष्ट्र की ताज़ा मानवाधिकार रिपोर्ट ने इस कड़वे सच को सामने लाया है कि उत्तर कोरिया में सिर्फ विदेशी कंटेंट देखने या साझा करने के आरोप में लोगों को फांसी दी जा रही है। खासतौर पर दक्षिण कोरियाई ‘के-ड्रामा’ जैसे लोकप्रिय शो इसके केंद्र में हैं।
रिपोर्ट के मुख्य खुलासे:
- उत्तर कोरिया में 2014 के बाद से सेंसरशिप और सज़ाओं की सख्ती में भारी इज़ाफा हुआ है।
- विदेशी फिल्में, म्यूज़िक या वेब शो देखने वाले लोगों को देश के कानून ‘सांस्कृतिक शुद्धता’ के खिलाफ मानता है।
- कई मामलों में लोगों को पब्लिक एक्सीक्यूशन (सार्वजनिक फांसी) दी गई, ताकि दूसरों में डर पैदा हो।
UN की रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के किशोरों और बच्चों को जबरन ‘शॉक ब्रिगेड्स’ में भर्ती किया जा रहा है, जहां उनसे कोयला खदानों और निर्माण स्थलों पर जानलेवा मजदूरी करवाई जा रही है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि: जेलों में सुरक्षा बलों द्वारा की जाने वाली मारपीट में थोड़ी कमी आई है। कुछ नए कानूनों में निष्पक्ष सुनवाई का ज़िक्र किया गया है। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि ये सुधार केवल “कागज़ी” हैं, और ज़मीनी स्तर पर आम लोगों की स्थिति भयावह बनी हुई है।
उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को “झूठ और पश्चिमी साज़िश” करार देते हुए खारिज कर दिया है। जिनेवा स्थित उत्तर कोरियाई मिशन और लंदन दूतावास की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
जहां बाकी दुनिया Netflix, Disney+ और YouTube पर अपने पसंदीदा शो देखकर दिन बिताती है, वहीं उत्तर कोरिया के नागरिक वही शो देखने के लिए जिंदगी का सबसे बड़ा जोखिम उठा रहे हैं।
