सोमवार रात देहरादून में जो बारिश हुई, वह सिर्फ ‘तेज बारिश’ नहीं थी, वह एक भयावह आपदा थी। लोगों ने अपनी आंखों के सामने घर बहते देखे, सड़कों को टूटते देखा, और कईयों ने अपनों को खोया।
हम जब मंगलवार सुबह मालदेवता क्षेत्र में पहुंचे, वहां सिर्फ मलबा था — टूटी सड़कें, उखड़े बिजली के खंभे और मदद के लिए चिल्लाते लोग। एक स्थानीय निवासी, रमेश भट्ट, का कहना है:
“रात दो बजे पानी घर में घुसा, हमने किसी तरह बच्चों को छत पर चढ़ाया, लेकिन नीचे सारा सामान बह गया।”
कारलीगढ़ में नदी बना तबाही का रास्ता
सहस्रधारा के पास कारलीगढ़ में नदी ने अपना रास्ता बदल लिया और गांव के बीचों-बीच से बहने लगी। आधा गांव जलमग्न हो गया है। कई मकान पूरी तरह ढह चुके हैं।
ट्रैक्टर ट्रॉली हादसा: दर्दनाक मंजर
आसन नदी में एक ट्रैक्टर ट्रॉली बह गई, जिसमें 13 लोग सवार थे। हमारी टीम जब मौके पर पहुंची, तो राहतकर्मी शवों की तलाश कर रहे थे। 10 शव मिल चुके हैं, 8 लोग अभी भी लापता हैं। नदी किनारे बैठे परिजन बेसुध थे।
भूस्खलन और टूटे रास्ते
- देहरादून-पांवटा मार्ग पर प्रेमनगर के पास पुल बह गया है — पूरा इलाका अब सड़क संपर्क से कटा हुआ है।
- मसूरी-देहरादून मार्ग पर जगह-जगह भूस्खलन हुआ है, भारी वाहनों की आवाजाही पूरी तरह बंद है।
- झड़ीपानी-राजपुर पैदल मार्ग पर दो लोग मलबे में दबे — एक की मौके पर मौत हुई।
धार्मिक स्थल भी नहीं बचे
टपकेश्वर महादेव मंदिर में बारिश का पानी इतना बढ़ गया कि मंदिर की रेलिंग और पानी की टंकी बह गई। मंदिर के पुजारी भावुक होकर बोले:
“ऐसा जलप्रलय कभी नहीं देखा… भगवान भी शायद नाराज़ हैं।”
देवभूमि कॉलेज में अफरा-तफरी
देवभूमि कॉलेज में अचानक मलबा भर गया, छात्रों को खिड़कियों से निकालना पड़ा। कॉलेज प्रशासन ने तुरंत हॉस्टल खाली करवा दिया।
सरकारी हरकत में, लेकिन चुनौतियां बहुत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रभावित इलाकों का दौरा कर राहत कार्यों का जायज़ा लिया। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने फोन पर स्थिति की जानकारी ली और हर संभव मदद का भरोसा दिया है।
लोगों की ज़ुबानी
लोगों की जुबान पर बस एक ही सवाल है — “अब क्या होगा?”
एक वृद्ध महिला, जो अपने बहु और पोते के साथ मंदिर के पास बैठी थीं, कहती हैं:
“सारा सामान बह गया बेटा… अब बस जान बची है।”
