उत्तराखंड में एक परिवार की खुशियां पहले गैंग की गोलियों ने छीन लीं और फिर उनकी पुश्तैनी जमीन पर फर्जीवाड़े से कब्जा कर लिया गया। लेकिन अब एसटीएफ ने इस संगठित साजिश का पर्दाफाश करते हुए न सिर्फ कुख्यात प्रवीण वाल्मीकि गैंग के कई सदस्यों को जेल भेजा है, बल्कि इस गिरोह से मिले हुए दो पुलिसकर्मियों को भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है।
ग्राम सुनेहरा, रुड़की निवासी श्याम बिहारी की मृत्यु 2014 में हुई थी। परिवार की करोड़ों की जमीन की देखरेख उनके छोटे भाई कृष्ण गोपाल कर रहे थे। लेकिन वर्ष 2018 में प्रवीण वाल्मीकि गैंग ने कृष्ण गोपाल की गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद जब श्याम बिहारी की पत्नी रेखा देवी ने जिम्मेदारी संभाली, तो उन्हें भी डराने-धमकाने का सिलसिला शुरू हो गया। 2019 में रेखा के भाई पर जानलेवा हमला करवाया गया। आतंक का माहौल इतना बढ़ गया कि रेखा देवी और उनका परिवार रुड़की छोड़ने पर मजबूर हो गया।
गैंग ने यहीं पर खेल खत्म नहीं किया। एसटीएफ की जांच में सामने आया कि रेखा और कृष्ण गोपाल की पत्नियों के नाम से फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी तैयार कर गैंग ने जमीन को अवैध रूप से बेच दिया। इस गोरखधंधे में प्रवीण वाल्मीकि का भतीजा मनीष बॉलर और उसका साथी पंकज अष्टवाल मुख्य भूमिका में थे।
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस पूरे प्रकरण में पुलिस विभाग के दो कांस्टेबल — शेर सिंह और हसन अब्बास जैदी — गैंग से जुड़े हुए पाए गए। 26 अप्रैल 2025 को शेर सिंह ने पीड़ित परिवार की कोर्ट में प्रवीण वाल्मीकि से मुलाकात कराई थी। वहीं मार्च 2025 में, हसन अब्बास जैदी ने मनीष बॉलर के साथ मिलकर रेखा देवी के बेटे को अस्पताल में धमकाया और संपत्ति बेचने के लिए दबाव बनाया।
एसटीएफ को इन दोनों पुलिसकर्मियों के कॉल डिटेल्स, जेल में हुई मुलाकातों और अन्य तकनीकी साक्ष्य मिले हैं। सबूतों के आधार पर दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह भुल्लर ने कहा,
“कोई फर्क नहीं पड़ता कि आरोपी कौन है — अपराधी हो या वर्दीधारी, कानून से नहीं बच पाएगा। यह कार्रवाई उसी सख्ती का हिस्सा है।”
पीड़ित परिवार अभी भी न्याय के इंतज़ार में है। लेकिन एसटीएफ की यह कार्रवाई यह संकेत जरूर देती है कि संगठित अपराध और भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ अब सिस्टम ने आंखें खोलनी शुरू कर दी हैं।
