उत्तराखंड के चमोली जनपद के नंदानगर क्षेत्र में 17 सितम्बर की रात प्रकृति ने एक बार फिर विनाश का तांडव दिखाया। तेज बारिश के बीच बादल फटने की घटना में पांच लोग लापता हो गए हैं, जबकि दो लोग घायल बताए जा रहे हैं। दर्जनों घरों को नुकसान पहुंचा है और खेत-खलिहान बर्बाद हो गए हैं।
घटना की शुरुआत नगर पंचायत नंदानगर के कुन्तरि लगाफाली वार्ड से हुई, जहाँ देर रात भारी बारिश के कारण मलबा आने से छह मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। सूचना के अनुसार दो लोगों को मौके से सुरक्षित निकाला गया, लेकिन पांच ग्रामीण अब भी लापता हैं।
सबसे ज्यादा तबाही सेरा गांव में देखने को मिली, जहाँ मोक्ष नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से कई मकान खतरे की जद में आ गए। ग्रामीण महिपाल सिंह, अवतार सिंह और पुष्कर सिंह के मकान बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सबसे पहले महिपाल सिंह का बाथरूम बहा और फिर पूरा मकान पानी की चपेट में आ गया। कई परिवार रात में जान बचाकर घर छोड़ कर भागे।
सेरा से ऊपर पहाड़ी पर स्थित धुर्मा गांव में भी हालात भयावह हैं। बागड़ टॉप क्षेत्र में कई दुकानें और मकान बह गए हैं, जिससे लाखों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। यहां भी कई घर असुरक्षित घोषित किए गए हैं।
इलाके में बिजली आपूर्ति पूरी तरह ठप है। सड़कें मलबे से भरी पड़ी हैं और मोबाइल नेटवर्क भी बाधित है। सेरा गांव का एकमात्र पेट्रोल पंप मलबे में दब गया है। आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है और प्रभावित क्षेत्रों तक प्रशासन की पहुंच बेहद मुश्किल हो गई है।
ग्रामीणों ने किसी तरह जिलाधिकारी संदीप तिवारी तक जानकारी पहुंचाई है और आपात राहत कार्य शुरू करने की अपील की है। प्रशासन ने अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, आपदा परिचालन केंद्र ने सुबह 6:18 बजे एक प्रारंभिक सूचना जारी की है, जिसमें प्रभावित क्षेत्र का उल्लेख किया गया है।
पिछले दो महीनों में यह दूसरा मौका है जब सेरा गांव को इतनी बड़ी आपदा का सामना करना पड़ा है। 8 जुलाई की त्रासदी से उबरने की कोशिश कर रहे लोग अब फिर से बेघर, बेसहारा और भयभीत हैं। कई ग्रामीण नियति को कोसते हुए कह रहे हैं — “हमने क्या गुनाह किया जो बार-बार कुदरत का कहर हम पर ही टूटता है?”
