भारत सरकार और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच 97 तेजस मार्क-1A फाइटर जेट्स की खरीद के लिए ₹66,500 करोड़ रुपये की डील पर आज हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। यह सौदा भारतीय वायुसेना (IAF) के लिए अब तक का सबसे बड़ा स्वदेशी रक्षा सौदा होगा।
डिफेंस सूत्रों के अनुसार, यह डील भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने और स्क्वाड्रन की गिरती संख्या को सुधारने की दिशा में एक अहम कदम है। वर्तमान में, पुराने मिग-21 विमानों के हटने के बाद वायुसेना के स्क्वाड्रन घटकर 29 रह जाएंगे, जबकि आवश्यक स्क्वाड्रन संख्या 42.5 निर्धारित की गई है।
गौरतलब है कि HAL को पहले ही फरवरी 2021 में 83 तेजस मार्क-1A विमानों का ऑर्डर मिल चुका है, जिसकी लागत ₹46,898 करोड़ थी। हालांकि, अभी तक एक भी विमान वायुसेना को नहीं सौंपा गया है। HAL के मुताबिक, पहले दो तेजस विमान अक्टूबर 2025 तक सौंपे जाने की उम्मीद है, बशर्ते कि मिसाइल और लेजर-गाइडेड बम परीक्षण सफल हों।
तेजस विमानों में इस्तेमाल होने वाले इंजन अमेरिकी कंपनी GE से लिए जाते हैं। HAL को नए सौदे के तहत GE से 113 F-404 इंजन खरीदने होंगे, जिसकी अनुमानित लागत करीब 1 अरब डॉलर है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब GE से इंजन की आपूर्ति स्थिर हो चुकी है।
यह डील ऐसे समय पर हो रही है जब पाकिस्तान और चीन दोनों अपनी वायु शक्ति को तेजी से बढ़ा रहे हैं। पाकिस्तान के पास फिलहाल 25 स्क्वाड्रन हैं और वह चीन से J-35A स्टेल्थ जेट प्राप्त करने की प्रक्रिया में है। वहीं चीन की वायु शक्ति भारत से चार गुना अधिक आंकी जाती है।
पाकिस्तान ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में चीन निर्मित J-10 फाइटर जेट का इस्तेमाल किया, जो 200+ किमी मारक क्षमता वाली PL-15 मिसाइलों से लैस था। इस पृष्ठभूमि में तेजस डील भारत की सामरिक तैयारियों को मजबूती प्रदान करेगी।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में बयान दिया था कि वायुसेना को अपनी क्षमता बनाए रखने के लिए हर साल कम से कम 40 नए फाइटर जेट्स की जरूरत है। तेजस के नए ऑर्डर के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि HAL अपनी उत्पादन गति को बढ़ाएगा।
इसके अलावा, सरकार ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान का कार्यकाल 30 मई 2026 तक बढ़ा दिया है। उस समय वे 65 वर्ष के हो जाएंगे, जो CDS पद के लिए अधिकतम आयु सीमा है।
तेजस डील भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति और रणनीतिक तैयारी का अहम हिस्सा बनकर उभरी है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा न केवल सैन्य शक्ति को बढ़ाएगा, बल्कि स्वदेशी उद्योग को भी गति देगा।
