भारत में एक बार फिर वर्क कल्चर और लंबे वर्किंग आवर्स पर बड़ी बहस छिड़ गई है। कारण हैं—इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति, जिन्होंने एक इंटरव्यू में चीन के कुख्यात 9-9-6 वर्क मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के युवाओं को भी हफ्ते में 72 घंटे काम करना चाहिए।
उनके इस बयान ने सोशल मीडिया और कॉर्पोरेट सर्कल में जोरदार विवाद खड़ा कर दिया है।
चीन की कई टेक कंपनियों में लंबे समय तक इस्तेमाल होने वाला यह मॉडल इस प्रकार है—
- सुबह 9 बजे से रात 9 बजे तक काम
- हफ्ते में 6 दिन
- यानी कुल 72 घंटे प्रति सप्ताह
अलीबाबा, हुआवेई और कई स्टार्टअप्स में यह कल्चर खूब चला, लेकिन कर्मचारियों पर इसके गंभीर प्रभाव पड़े:
- तनाव में बढ़ोतरी
- निजी जीवन पर बुरा असर
- शारीरिक थकान और स्वास्थ्य समस्याएँ
लगातार आलोचनाओं के बीच चीन की सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में इस मॉडल को गैरकानूनी घोषित कर दिया, हालांकि जमीन पर इसे कितना लागू किया गया—यह अभी भी स्पष्ट नहीं है।
79 वर्षीय मूर्ति ने इंटरव्यू में कहा कि:
- चीन का 9-9-6 रूल ही उसकी तेज़ विकास गति के पीछे एक कारण रहा
- भारत के युवाओं को भी “पहले जिंदगी बनानी चाहिए, फिर वर्क-लाइफ बैलेंस तय करना चाहिए”
- मूर्ति इससे पहले भी 2023 में 70 घंटे वर्क वीक की वकालत कर चुके हैं, जिस पर तब भी भारी विवाद हुआ था।
सोशल मीडिया पर मूर्ति के इस बयान की ज़बरदस्त आलोचना देखी गई।
विरोध करने वालों का कहना है:
- भारत में ओवरटाइम का भुगतान ठीक नहीं होता
- वर्किंग-कंडीशन कई जगहों पर बेहद खराब हैं
- वेतन वृद्धि और नौकरी की सुरक्षा का भी अभाव है
एक यूजर ने लिखा—
“पहले उचित वेतन, बेहतर वर्क-कंडीशन और स्थिर नौकरी दें, फिर 72 घंटे काम की बात करें।”
