नई दिल्ली, 19 नवंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन इस साल 11 साल का हो गया। इसे 2 अक्टूबर 2014 को महात्मा गांधी की जयंती पर लॉन्च किया गया था। मिशन का उद्देश्य खुले में शौच की समस्या को खत्म करना, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन को सुधारना और नागरिकों, खासकर महिलाओं और ग्रामीण गरीबों के सम्मान और स्वास्थ्य को बनाए रखना था।
2014 से 2019 तक फेज-1 के तहत ग्रामीण इलाकों में 100 फीसदी स्वच्छता कवरेज हासिल किया गया। इस दौरान 10 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (Individual Household Latrine) का निर्माण हुआ और सभी गांवों ने खुद को ODF (Open Defecation Free) घोषित किया।
अप्रैल 2020 में शुरू हुए फेज-2 का फोकस SLWM (Solid & Liquid Waste Management) पर रहा, ताकि ODF स्थिति को बनाए रखा जा सके और ODF प्लस हासिल किया जा सके। 17 मार्च 2025 तक, 5 लाख 86 हजार गांवों में से 5.64 लाख से अधिक गांवों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया।
- 1 लाख 12 हजार आकांक्षी गांव
- 7 हजार 337 राइजिंग गांव
- 4 लाख 44 हजार आदर्श गांव
साथ ही, 5 लाख 3 हजार गांवों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन लागू किया गया।
पिछले 11 साल में कुल 12 करोड़ टॉयलेट और 2 लाख 53 हजार पब्लिक टॉयलेट बनाए गए। इसका मतलब है कि भारत में हर मिनट लगभग 21 टॉयलेट बने। इससे खुले में शौच की समस्या काफी हद तक खत्म हुई और स्वास्थ्य व स्वच्छता में सुधार आया।
घर-घर टॉयलेट योजना में केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को खर्च करना पड़ता है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में इसका अनुपात 90:10 है, जबकि अन्य राज्यों में 60:40 के अनुपात में केंद्र और राज्य निधि साझा करते हैं।
स्वच्छ भारत मिशन ने न केवल ग्रामीण भारत की तस्वीर बदली है बल्कि लोगों की सेहत और जीवन स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार लाया है।
