यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग को 3 साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक इसे रोकने की तमाम वैश्विक कोशिशें नाकाम रही हैं। इस बीच अमेरिका ने युद्ध को समाप्त करने के लिए एक नया शांति प्रस्ताव मसौदा तैयार किया है, जिसमें यूक्रेन को अपनी कुछ जमीन रूस को सौंपने और अपनी सेना के आकार को सीमित करने का सुझाव दिया गया है।
एपी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी सैन्य सचिव समेत कई शीर्ष अधिकारी शांति वार्ता में सहयोग के लिए यूक्रेन पहुंचे हैं। यह प्रस्ताव अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस कोशिश का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसके जरिए वे यूरोप में स्थिरता स्थापित करना चाहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को पहले ही अस्वीकार कर दिया है। यूक्रेन का मानना है कि अपनी भूमि छोड़ना उसके संप्रभु अधिकारों का उल्लंघन होगा और सेना का आकार घटाना भविष्य की सुरक्षा को कमजोर करेगा।
व्हाइट हाउस के उप प्रमुख स्टीफन मिलर ने प्रस्ताव पर कोई सीधी टिप्पणी नहीं की, लेकिन इतना जरूर कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का उद्देश्य “यूरोप में शांति बहाल करना और निर्दोष लोगों की जान बचाना” है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बताया कि उनके अधिकारी एक “स्थायी शांति समझौते” पर विचार कर रहे हैं और यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी। उनके अनुसार, किसी भी समझौते के लिए दोनों पक्षों—रूस और यूक्रेन—को कठिन लेकिन जरूरी समझौते करने होंगे।
वहीं, रूस के सरकारी प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने स्पष्ट किया कि
अमेरिका से कोई औपचारिक वार्ता नहीं हो रही है
कुछ संपर्क हुए हैं, लेकिन उन्हें “वास्तविक परामर्श नहीं कहा जा सकता”
शांति योजना को लेकर चल रही अटकलों के बीच यूरोपीय संघ भी सामने आया है।
ईयू की विदेश नीति प्रमुख काया कालास ने कहा—
“किसी भी योजना के सफल होने के लिए यूक्रेनियों और यूरोपियनों की सहमति अनिवार्य है। यूरोप को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए।”
यूरोपीय देशों का कहना है कि यूक्रेन के भविष्य से जुड़ा कोई भी निर्णय उसकी सहमति के बिना नहीं लिया जा सकता।
इस नए प्रस्ताव ने अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, लेकिन यूक्रेन की असहमति और रूस की अनिश्चित प्रतिक्रिया को देखते हुए इस योजना के सफल होने की संभावनाएँ कम दिखाई दे रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक दोनों पक्ष सैन्य कार्रवाई की बजाय राजनीतिक बातचीत को प्राथमिकता नहीं देते, तब तक युद्ध समाप्त होने की उम्मीद धुंधली ही रहेगी।
