सीमावर्ती क्षेत्र। दक्षिण-पूर्व एशिया में तनाव की नई लपटें उठ रही हैं। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद ने एक बार फिर हिंसक रूप ले लिया है। सीमा के कई इलाकों से लगातार गोलाबारी की आवाजें सुनाई दे रही हैं और लोग अपने घरों को यूँ छोड़कर भाग रहे हैं मानो युद्ध शुरू हो चुका हो।
रविवार को सीमा पर हुई एक मामूली झड़प में किनारों पर मौजूद तनाव अचानक भड़क उठा। दो थाई सैनिक घायल हुए और इसके बाद हालात तेजी से बिगड़ने लगे। सोमवार और मंगलवार को दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे पर गोलियां, तोपें और रॉकेट दागने शुरू कर दिए।
कंबोडिया के प्रभावी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री हुन सेन ने सोशल मीडिया पर बेहद कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया।
उन्होंने लिखा:
“हम शांति चाहते हैं, लेकिन यदि हमारे क्षेत्र पर हमला हुआ है तो जवाब देना हमारा अधिकार है।”
उन्होंने दावा किया कि कंबोडियाई सेना ने सोमवार को धैर्य रखा, लेकिन थाई हमलों ने उन्हें जवाब देने पर मजबूर कर दिया।
थाई प्रधानमंत्री अनुतिन चर्नविराकुल ने साफ कर दिया कि कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा,
“कंबोडिया ने बातचीत के लिए हमसे संपर्क नहीं किया है। सैन्य अभियान अपनी तय रणनीति के अनुसार जारी रहेंगे।”
इस बयान ने संकेत दे दिए हैं कि हालात जल्द सामान्य होने के आसार बेहद कम हैं।
- थाईलैंड का आरोप: कंबोडिया ने ड्रोन, रॉकेट और भारी तोपों से हमला किया।
- कंबोडिया का दावा: 7 नागरिक मारे गए, 20 घायल।
- थाई सेना का बयान: उसके 3 सैनिक मारे गए हैं।
दोनों पक्ष एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगा रहे हैं।
- संघर्ष का सबसे बड़ा असर सीमा पर बसे नागरिकों पर पड़ रहा है।
- थाईलैंड ने 1.26 लाख लोगों को अस्थायी शिविरों में शरण दी है।
- कंबोडिया की तरफ से 55,000 लोग सुरक्षित स्थानों पर भेजे जा चुके हैं।
- स्थानीय लोगों का कहना है कि रातभर गोलाबारी से पूरा क्षेत्र काँपता रहा।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किमी लंबी सीमा वर्षों से विवाद का केंद्र रही है।
18 कैदियों का मुद्दा दोनों देशों को बांट रहा है।
- थाईलैंड का आरोप—कंबोडिया नई लैंड माइंस बिछा रहा है।
- कंबोडिया का जवाब—ये पुराने गृहयुद्ध की बची माइंस हैं।
इतिहास, राजनीति और सीमा विवाद — तीनों मिलकर इस तनाव को खतरनाक रूप दे रहे हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर दोनों देशों ने जल्द बातचीत शुरू नहीं की, तो यह विवाद दक्षिण-पूर्व एशिया में एक बड़े संकट का रूप ले सकता है।
