तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के शताब्दी वर्ष के मौके पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में आरएसएस सर संघ चालक मोहन भागवत मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। समारोह में शामिल स्वयंसेवकों ने भागवत से कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे।
कार्यक्रम के दौरान कुछ स्वयंसेवकों ने सवाल किया कि भविष्य में नरेंद्र मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद की बागडोर किसे सौंपी जाएगी। इस पर मोहन भागवत ने जवाब दिया कि बीजेपी और प्रधानमंत्री स्वयं इस विषय पर विचार करेंगे और निर्णय लेंगे।
भागवत ने तमिलनाडु में आरएसएस की अपेक्षाकृत सीमित उपस्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में 100% राष्ट्रवादी भावना मौजूद है, लेकिन कुछ कृत्रिम बाधाएं इस भावना की खुलकर अभिव्यक्ति को रोक रही हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि ये अवरोध लंबे समय तक टिकेंगे नहीं, और इन्हें खत्म करने की दिशा में मिलकर काम किया जाएगा।
मोहन भागवत ने भाषाई विविधता और सांस्कृतिक मूल्यों पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के लोग तमिल में हस्ताक्षर करने में हिचक क्यों महसूस करें, सभी भारतीय भाषाएं हमारी अपनी भाषाएं हैं। भागवत ने लोगों से आग्रह किया कि वे घर में अपनी मातृभाषा में बातचीत करें, जहां रहते हैं वहां की भाषा सीखें और अपनी परंपराओं और जीवनशैली को संजोकर रखें।
भागवत ने दक्षिण भारतीय राज्यों की संस्कृति की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यहां के लोग अपनी परंपरागत पोशाक, खासकर ‘वेष्टि’, को नहीं छोड़ते, जो उनकी सांस्कृतिक जड़ों से गहरे जुड़ाव को दर्शाता है।
