🌹🌞*~ हिन्दू पंचांग ~*🌞🌹
🌤️ *दिनांक – 07 सितम्बर 2023*
🌤️ *दिन – गुरूवार*
🌤️ *विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)*
🌤️ *शक संवत -1945*
🌤️ *अयन – दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु – शरद ॠतु*
🌤️ *अमांत – 22 गते भाद्र पद मास प्रविष्टि*
🌤️ *राष्ट्रीय तिथि – 16 श्रावण मास*
🌤️ *मास – भाद्रपद (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)*
🌤️ *पक्ष – कृष्ण*
🌤️ *तिथि – अष्टमी शाम 04:14 तक तत्पश्चात नवमी*
🌤️ *नक्षत्र – रोहिणी सुबह 10:25 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
🌤️ *योग – वज्र रात्रि 10:02 तक तत्पश्चात सिद्धि*
🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01:48 से शाम 03:22 तक*
🌞 *सूर्योदय-05:57*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:33*
👉 *दिशाशूल- दक्षिण दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण – श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (भागवत) नाथद्वारा,द्वारका,मथुरा,डाकोर मे श्रीकृष्ण-जन्मोत्सव),दही हांडी*
💥 *विशेष – अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
🌞~*वैदिक पंचांग* ~🌞
🌷 *श्रीकृष्ण-जन्माष्टमीव्रत की कथा एवं विधि* 🌷
🙏 *भविष्यपुराण उत्तरपर्व अध्याय – २४*
👉🏻 *गतांक से आगे….*
🙏 *कुछ लोग चन्द्रमा के उदय हो जानेपर चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान कर हरि का ध्यान करते हैं, उन्हें निम्नलिखित मन्त्रों से हरि का ध्यान करना चाहिये –*
🌷 *अनघं वामनं शौरि वैकुण्ठ पुरुषोत्तमम |*
*वासुदेवं हृषीकेशं माधवं मधुसूदनम ||*
*वाराहं पुण्डरीकाक्षं नृसिंहं ब्राह्मणप्रियम |*
*दामोदरं पद्यनाभं केशवं गरुड़ध्वजम |*
*गोविन्दमच्युतं कृष्णमनन्तमपराजितम |*
*अघोक्षजं जगद्विजं सर्गस्थित्यन्तकारणम |*
*अनादिनिधनं विष्णुं त्रैलोक्येश त्रिविक्रमम |*
*नारायण चतुर्बाहुं शंखचक्रगदाधरम |*
*पीताम्बरधरं नित्यं वनमालाविभूषितम |*
*श्रीवत्सांग जगत्सेतुं श्रीधरं श्रीपति हरिम || (उत्तरपर्व ५५/४६ – ५०)*
🙏 *इन मन्त्रों से भगवान् श्रीहरि का ध्यान करके ‘योगेश्वराय योगसम्भवाय योगपतये गोविन्दाय नमो नम:’ – इस मन्त्र से प्रतिमा को स्नान कराना चाहिये | अनन्तर ‘यज्ञेश्वराय यज्ञसम्भवाय यज्ञपतये गोविन्दाय नमो नम:’ – इस मंत्रसे अनुलोपन, अर्घ्य, धूप, दीप आदि अर्पण करें | तदनंतर ‘विश्वाय विश्वेश्वराय विश्वसम्भवाय विश्वपतये गोविन्दाय नमो नम: |’ इस मन्त्र से नैवेद्य निवेदित करें | दीप अर्पण करने का मन्त्र इसप्रकार हैं – धम्रेश्वराय धर्मपतये धर्मसम्भवाय गोविन्दाय नमो नम: |’*
🙏 *इसप्रकार वेदी के ऊपर रोहिणी-सहित चन्द्रमा, वसुदेव, देवकी, नन्द, यशोदा और बलदेवजी का पूजन करें , इससे सभी पापों से मुक्ति हो जाती हैं | चंद्रोदय के समय इस मन्त्र से चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करें –*
🌷 *क्षीरोदार्नवसम्भूत अत्रिनेत्रसमुद्भव |*
*गृहनार्घ्य शशाकेंदों रोहिण्या सहितो मम || (उत्तरपर्व ५५/५४)*
🙏 *आधी रात को गुड और घी से वसोर्धारा की आहुति देकर षष्ठीदेवी की पूजा करे | उसी क्षण नामकरण आदि संस्कार भी करने चाहिये | नवमी के दिन प्रात:काल मेरे ही समान भगवती का भी उत्सव करना चाहिये | इसके अनन्तर ब्राह्मणों को भोजन कराकर ‘कृष्णो में प्रीयताम’ कहकर यथाशक्ति दक्षिणा देनी चाहिये |*
🙏 *धर्मनंदन ! इसप्रकार जो मेरा भक्त पुरुष अथवा नारी देवी देवकी के इस महोत्सव को प्रतिवर्ष करता हैं, वह पुत्र, सन्तान, आरोग्य, धन-धान्य, सदगृह, दीर्घ आयुष्य और राज्य तथा सभी मनोरथों को प्राप्त करता हैं | जिस देशमें यह उत्सव किया जाता है, वहाँ जन्म-मरण, आवागमन की व्याधि, अवृष्टि तथा ईति-भीती आदि का कभी भय नहीं रहता | मेघ समयपर वर्षा करते हैं | पांडूपुत्र ! जिस घर में यह देवकी-व्रत किया जाता हैं, वहाँ अकालमृत्यु नहीं होती और न गर्भपात होता हैं तथा वैधव्य, दौर्भाग्य एवं कलह नहीं होता | जो एक बार भी इस व्रत को करता हैं, वह विष्णुलोक को प्राप्त होता है | इस व्रत के करनेवाले संसार के सभी सुखों को भोगकर अंत में विष्णुलोक में निवास करते हैं |*
🙏 *इति श्री भविष्यपुराण का उत्तरपर्व का चौवीसवाँ अध्याय समाप्त हुआ |*
🌞 *~ वैदिक पंचाग ~* 🌞
🌷 *व्यापार में वृद्धि हेतु* 🌷
👉🏻 *रविवार को गंगाजल लेकर उसमें निहारते हुए २१ बार गुरुमंत्र जपें, गुरुमंत्र नहीं लिया हो तो गायत्री मंत्र जपें | फिर इस जल को व्यापार-स्थल पर जमीन एवं सभी दीवारों पर छिडक दें | ऐसा लगातार ७ रविवार करें, व्यापार में वृद्धि होगी |*
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