दून शहर की यातायात व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए जिस तरह के मेगा प्रोजेक्ट की राह लंबे समय से देखी जा रही थी, उसकी दिशा में बड़ी सफलता हाथ लगी है। दून की आउटर रिंग अब फाइलों और बैठकों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उसे धरातल पर भी उतारा जा सकेगा।
51.59 किलोमीटर लंबी आउटर रिंग रोड की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है। अलग-अलग चरण वाली इस परियोजना में करीब 3500 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। जिसकी स्वीकृति के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) के अधिकारी केंद्र सरकार की स्वीकृति का इंतजार कर रहे हैं।
एनएचएआइ के अधिकारियों के अनुसार सर्वे और एलाइनमेंट (संरेखण) के बाद डीपीआर तैयार कर उसे स्वीकृति के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजा जा चुका है। अलग-अलग चरण में तैयार होने वाली परियोजना में सबसे पहले मोहकमपुर से आशारोड़ी तक करीब 15 किलोमीटर लंबी एलिवेटेड रोड का निर्माण किया जाएगा।
रिंग रोड परियोजना का यह होगा स्वरूप
- प्रारंभिक बिंदु, मसूरी रोड पर मैक्स अस्पताल
- अंतिम बिंदु, आशारोड़ी
- लंबाई, 51.59 किमी (2.8 किमी लंबाई की ट्विन ट्यूब टनल भी शामिल)
- चौड़ाई, फोरलेन
- अधिकतम गति सीमा, 60/80 किमी प्रति घंटा
यह होंगे जंक्शन
मैक्स अस्पताल, मालदेवता रोड, रिस्पना पुल, आइएसबीटी, आशारोड़ी।
हांफते शहर को राहत देगी रिंग रोड
देहरादून शहर में आबादी के साथ यातायात का दबाव सड़कों की क्षमता से कहीं अधिक हो गया है। घनी आबादी के चलते मौजूदा सड़कों और उनके जंक्शन को चौड़ा करने के अवसर बेहद सीमित हैं। ऐसे में पहाड़ों की रानी मसूरी की तरफ वीकेंड या अन्य खास अवसर पर जब वाहनों का दबाव बढ़ता है तो उसका असर सीधे शहर पर पड़ता है।
इसी तरह दिल्ली, सहारनपुर या हरिद्वार के बीच दून की तरफ से आवागमन करने वाले वाहनों का दबाव भी प्रत्यक्ष रूप से दून की यातायात व्यवस्था को प्रभावित करता है। मौजूदा समय में दून के प्रमुख जंक्शन में यातायात का दबाव उनकी डिजाइन क्षमता से छह गुना पीसीयू (पैसेंजर कार यूनिट) तक पहुंच चुका है।