नई दिल्ली | 18 अक्टूबर 2025
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक बार फिर भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और तीव्र विकास दर को लेकर बड़ी तारीफ की है। IMF की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने भारत को दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक बताते हुए कहा कि भारत वैश्विक आर्थिक विकास में बड़ी भूमिका निभा रहा है।
लेकिन इस सराहना के साथ उन्होंने भारत को कुछ गंभीर सुधारों की दिशा में आगे बढ़ने की सलाह भी दी है ताकि यह रफ्तार भविष्य में भी बनी रहे।
क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा:
“जब पूरी दुनिया आर्थिक अनिश्चितताओं से जूझ रही है, भारत एक मजबूत स्तंभ की तरह खड़ा है। यह न केवल खुद को संभाल रहा है बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी सहारा दे रहा है।”
IMF के मुताबिक, वैश्विक विकास दर जहां 3% के आसपास अटक गई है, वहीं भारत की विकास दर 6% से अधिक बनी हुई है, जो विश्व मंच पर एक सकारात्मक संकेत है।
IMF ने सराहना के साथ-साथ भारत को भविष्य के विकास पथ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तीन प्रमुख सुझाव दिए:
IMF का मानना है कि भारत को ऐसे आर्थिक सुधार करने चाहिए जिससे निजी कंपनियों और निवेशकों को अधिक भागीदारी का अवसर मिले।
इससे देश में नई पूंजी, तकनीक, और रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे।
“निजी निवेश को प्रोत्साहित करना ही भारत की स्थायी आर्थिक सफलता की कुंजी है।”
भारत को आंतरराष्ट्रीय व्यापार में खुलापन लाना होगा।
IMF ने कहा कि भारत में अभी भी टैरिफ और व्यापारिक बाधाएं हैं, जिन्हें हटाने से नए निवेशक और वैश्विक कंपनियां आकर्षित होंगी।
“भारत को व्यापारिक दरवाज़े खोलने होंगे — न केवल अपनी अर्थव्यवस्था के लिए, बल्कि वैश्विक संतुलन के लिए भी।”
IMF की तीसरी सलाह है कि भारत को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डिजिटल इनोवेशन, और हरित तकनीकों में निवेश बढ़ाना चाहिए।
यही आने वाले दशकों की नई ऊर्जा और विकास का स्रोत बनेंगी।
“जो देश AI और ग्रीन टेक्नोलॉजी में आगे होगा, वही भविष्य की अर्थव्यवस्था में नेतृत्व करेगा।”
IMF ने यह साफ किया है कि भारत में संभावनाओं की कोई कमी नहीं, लेकिन यह तभी वास्तविक परिणाम देंगे जब सरकार, उद्योग और समाज मिलकर नीति निर्माण और कार्यान्वयन में सुधार करेंगे।
भारत दुनिया की तीव्र गति से उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और IMF की यह रिपोर्ट इसे एक बार फिर साबित करती है।
लेकिन यह सराहना केवल गौरव की बात नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का संकेत भी है कि भारत को व्यापारिक खुलापन, निजी निवेश और तकनीकी प्रगति के रास्ते पर ठोस कदम उठाने होंगे।
